बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

ओ दिन नै बिसरब

अहां सबकें हम दिल्लीसँ जुड़ल बहुत बात बतबैत रहैत छी। एहि क्रम मे एकटा बात आई फेरो यादि आबि गेल। दरअसल नव-नव गामसँ दिल्ली अएले रही। एतुका भाषा सबहक एतेक जानकारी नै रहै। एक बेर खाना खाइ के लेल होटल मे गेलहुं। बएरा सँ पुछलियै जे तरकारी मे की सब छौ त ओ ढेर रास तरकारी के नाम गिना देलक। कतेक नाम त बुझियो नै पौलियै आ कतेक बुझियो गेलियै त पहिने सुनने नै रहिये। बड़का दुविधा मे पड़ि गेलहुं। ओहि तरकारी मे एकटा नाम बड नीमन लागल। ओकर नाम छलै सीता फल। मन मे सोचलहुं जे यैह नै खेने छी तैं इहे खएल जए। किएक त नाम सं बुझना पड़ल जे कोना विशिष्ट तरकारी हेतै। बैरा के झट द आर्डर द देलियै। पुछलक हाफ की फुल। कहलियै फुल। बड दीब, कनेके काल मे ओ तरकारी लए सीट पर आबि गेल। फेर पुछलक रोटी कएटा। ओहो कहि देलियै। मुदा, जखन खए बैसलहुं त देह पर जेना पहाड़ टूटि गेल। ओ रहै कदीमा। होटल मे मारि बेसाहि लेलियै। किएक त लोकक मुंहे गाममे बड सुनने रहियै जे दिल्ली मे ठकरहारा सब सेहो होइत छैक। हमरा भेल जे इहो हमरा ठकि लेलक। ओकरा कहलियै जे तों झूठ किएक बजलें। ओ बौक जेकां मुंह ताकए लागल। कहलक जे हम झूठ कहां बजलहुं अहां अपने सीता फल के आर्डर देने रही। जहां ने ओ नाम लेलक की फेर जेना देह मे आगि लागि गेल। कहलियै जे जकरा हमरा सभ गाममे पुछैत नै छी तकरा तों एतेक सुनर नाम द लोकके ठकैत छीहीं। होटल मे संजोगसँ एकटा बएरा अपने दिसका रहे। ओ आबि कहलक भाईजी एकरा दिल्ली मे इहे नाम सँ जनैत छै तें ई ठकलक हं नै। खएर पैसा लागि गेल रहे तें मोन मसौइस कए खा लेलहुं। ओना जे कहियौ पैसा जे लागल रहए तैं ओकर स्वादो खूब नीक लागल। एहन गाममे नै लागैत रहे।

1 टिप्पणी:

KK Yadav ने कहा…

Bhojpuri men ek blog dekhkar achha laga..badhai !!
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