मंगलवार, 8 जनवरी 2008

हे आब नै दियौ मैथिली मी गारी

दिल्ली-पंजाब कमय बला सब कान खोली के सुनी लिअ। बस-ट्रेन आ हाट-बाज़ार मे आब नै दियौ ककरो मैथिली मे गारी। जाओं इ बुझहैत हेबई जे ओ नै बुझतै त इ भ्रम छी। आब बड लोक मैथिली बुझहैत छै। एकटा आँखिक देखल घटना बतबैत छी। हम दिल्ली युनिवर्सिटी, नॉर्थ कैम्पस मे रहैत छी। अहि ठाम एकटा अपने दीसक छोंरा पानक दोकान करैत दिन अहिना सांझ मे हमरा सब चारि-पांच टा संगी ओकरा दोकान पर ठाढ रही। एकटा छौरी जैत रहै, ओकरा ओ मैथिली मे कही देलकै ये भौजी, आबू न, पान खा न लिअ। औ बाबू, ओ मैथिली बुझहैत रहै। कत ने कत सा तुरंते १००टा छौरी ओकरा दोकान पर आबी धमकलै। कहलकै, भैया पान खिलाना। किछु छौरी पान खेलकै, किछु सिगरेट पिलकै, आ जे सब पान-सिगरेट ने लेलकई से किछु आरे चीज खा के चली देलकै। छौरा बहुत हिम्मत का के कहल्कै अरे मैडम पैसा तो देती जाओ। छौरी पलटि के कहै छै, किया यौ बउवा, भौजियो स पाई लेबई कि। की कहू छौरा के मूह त देखिते बनैत छलै। तें कहि दै छी चेत जाओ, ने त फेर पछतेब। ने चेतु, हमरा कि, हमर फर्ज छल बतेब, से हम बता देलौं, भुगत त अपने परत।

9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

wah bhai....aab sabsa pahine ... hum ..samhaer ka rahab..

MITRA - VATIKA ने कहा…

very pleasent to read maithalee blog.
perhaps 1st blog in maithalee.
"Hats off" to Raushan jee.
include more article/ small stories /sansmaran /poem etc.
[sorry maithalee / devnagri type kani kathin chai tain maithalee man nai likh sakaloon]

Unknown ने कहा…

मन गदगद भ गेल. एहिना काज करैत रहुं. अहां सभक प्रयास सं दिल्ली मंत्रिमंडल में सेहो मैथिली आ भोजपुरी अकादमी बनाबय पर मुहर लगि गेल. अहां अखबारक अनुभव सेहो लोक के लेल फायदेमंद साबित होयत. मैथिलीक प्रचार प्रसार के लेल अहां जे काज क रहल छी ओकरा लेल साधुवाद के पात्र छी. अहांक हमर शुभकामना.

हितेन्द्र कुमार गुप्ता
09873606696

विजय ठाकुर ने कहा…

बेस त…आब नै कहबै…ओना हमहू एक बेर एक टा संगी संग बस में जाइत रहऊँ, संगी स असगरे आगू बला पूरा सीट पर पसरि क बैसल खूब मोट-चोट मौगी के देखा क कहिलियै जे हे रौ कहून हिनका दू टा टिकट लेबक लेल - त ओ चट द बजलीह - बसो में भिखमंगी…पाई नै अछि त चढलौं किया…कहू कत के टिकट चाही - हम आहाँ दूनू के टिकट ल लेब……काटू त खून नै……कहैलियैन माताश्री-क्षमा कैल जाओ…

रौशन कुमार झा ने कहा…

kono bat nai, ahan sab ahina housla badhbait rahiyo, ham aro badhiyan jaka likhait rahab

Kumar Padmanabh ने कहा…

रौशन जी;

अहीँ सन सन लोक'क आवश्यकता अछि मैथिली के इन्टरनेट पर आनबा मे. लिखैत रहु मुदा एकटा आग्रह करब जे कखनो www.vidyapati.com के लेल सेहो लिखु. ई हमरा लोकनिक कम्यूनिटी ब्लोग अछि. एकरा सफल बनेबा मे अहमरा लोकनिक मदद करू.

Kumar Padmanabh ने कहा…

रौशन जी;

कनिएँ एक नजर इम्हरो देल जाए. click here

Rajeev Ranjan Lal ने कहा…

हे यै भौजी, अबू ने, पाल खाऊ ना। पान आ पाल के बीच महीन अंतर राखैत गाम में चौक पर छौड़ा सभ के कहैत सुनलिअए यऽ आ ताहि से बमकैत गाम के मौगी सभ के सेहो।

पान बला के महानता कहल जायत जे गाम से शहर आबि गेला के बादो ओ अपन ग्रामीण छेछड़पन के नहि बिसरल। तारीफ के ओहि जनाना के देबऽ पड़तै जे शहर के मर्दानगी के दिखबैत पान बला के सबक सिखौलक। नीक कहु आ कि बेजाय, गाम में अखनो बहुत एहन तरह के द्विअर्थी शब्द प्रचलन में अछि आ एहि ब्लोग के टिप्पणी के बहाने किछु के हम जगह दऽ रहल छी।

१. पान (पाल) खेभी गे।
२. दालि गे दालि (दाय गे दाय) कथी लऽ के छौंकियौ गे दालि।
३. चल ने खेत में कुसिआर खुवेगो गे

ओना तऽ गामो में आब मैथिली बहुत कम रहि गेल अछि मुदा ओ मैथिली (अश्लीलता के अछैतो) बाजय बला बहुत कम बाँचि गेल अछि जे दःखक बात।

समदिया के बढिया शुरुआत कहब आ एकर उज्जवल भविष्य के कामना। ऊपर लिखल हमर सतही द्विअर्थी शब्द जकाँ किछो लिख के पल्ला नहि झाड़ब आ स्तरीय लेखन के लेल अपन सतत प्रयास करब। मैथिली के अहाँ सन सुधी के जरूरत अछि।

सादर,
राजीव रंजन लाल
बंगलौर, 09342574820

Gajendra ने कहा…

आब प्रथम मैथिली पाक्षिक ई पत्रिका विदेह अपन वेबसाइट

http://www.videha.co.in पर उपलब्ध अछि।
अपन रचना (मैथिली,संस्कृत आ’ इंगलिश्मे) ggajendra@videha.co.in किंवा ggajendra@yahoo.co.in केँ
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प्रीति झा ठाकुर कंप्युटर एडमिनिस्ट्रेटर

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প্রথম মৈথিলী ঈ পাক্ষিক পত্রিকা বিদেহ 01.01.2008 সঁ পাঠক লোকনিক সমক্ষ আবি গেল৷তেসব অংকসঁ একব সাজ-সজ্জা দেখবা যোগ্য অছি৷ http://www.videha.co.in খোললা উত্তব বিদ্যাপতিক 'কত সুখ সাব পাওল তুঅ তীবেক' ভাবত বত্ন বিস্মিল্লাহ খান(শহনাই), শ্রীমতী এম.বাজন (রাযলিন) আ' কিশন মহাবাজ (তরলা) পব রাবাণসীক গংগা তট পব রজাওল সংগীত রাজি উঠৈত অছি৷