पिछला शुक्रवार के गप छी। दरभंगा लग एकटा गाम में विवाह छल। बड दिब, विवाहक सबटा तैयारी पूरा क लेल गेल। बरियाती आबी गेल। मुदा विवाह भेल केकरो आरो स। दरआसल जै लरका स विवाह होइतई ओ तते नै दारू पी लेने रहथिन जे विवाहक मंडप पर सबटा सुधि-बुधि बिसरी गेलखिन। विवाह करबा स सेहो मना क देलखिन। कतबो लोक मनबैत रहि गेलैन, नै मनल्खिन। अंत में बरक बाप स कनियागत दहेजक पैसा घुरब कहलखिन त ओहो ओई स इंकार क देलखिन। मामला के गरमैत देखि गामक लोक सब मुखिया आ सरपंच साहेब के बजोलन्हि। बाद मे येह फ़ैसला कायल गेल जे लरका के छोटका भाई स विवाह करा देल जय आ सेह भेबो कायल। छोटका भाई स विवाह भ गेला के बाद बरको के भक खुजलैन त ओ विवाहक लेल इक्च्छा जतोलन्हि आ जबरदस्ती कर लगलाह । फेर की छल, खिसिएल ग्रामीन सब हुनका मारी के सकचुन्ना उरा देलक। कहक गप ई जे अपन मिथिला जे कहियो संस्कार केर लेल जानल जैत छल तकर हाल आई ई भ गेल अई । आख़िर एकरा लेल जिम्मेदार के। एहन कोनो एके बेर नै भेल अई, अई स पहिनहियो कए बेर भ चुकल अई। जन अपन संस्कार आ पहचान कए जिंदा चाहैत छी त एखनो समय अई, जागू।
7 टिप्पणियां:
रौशनजी,
खसैत चारित्रिक स्तरक ई हाल अछि, जे गामे-गाम आब दारू बिकाइत आ' सभ ठाम गुटखाक पाउच भेटि जाएत। ओना गौँआ सभ जे निर्णय लेलन्हि से आँखि खोलए बला अछि।
গজেন্দ্র ঠাকুব विदेह' http://www.videha.co.in/
रौशन जी,
अहाँक लेख वास्तविक में हमरा सभ के सोचय पर मजबूर करैत अछि मुदा ई मिथिला के चारित्रिक पतन के उदाहरण स्वरूप नहि मानल जा सकैत अछि। बदलैत अर्थव्यवस्था में आजीविका के प्रतिकूल माहौल में बहुत गोटा गाम सँ पलायन क' जायत छैथ आ गाम में बचैत छैथ प्रायः ओ व्यक्तिगण जिनका में शिक्षा के बहुत अभाव अछि।
हुनक उदाहरण दैत मैथिल संस्कार के एक्के दलिघोटना से घोटनाय कतेक उचित हेतैक?
की अहाँ आ हमरा सभक परिवार से एहन संभव अछि जे शराबक नशा में धुत्त भ' विवाहक मंडप पर जाई। कि हम आ अहाँ मैथिल नहि?
ई बात बड बेस जे एक्कहि दलिघोटना स सम्पूर्ण संस्कृति के नहि घोट्बाक चाही आ इहो बात जे ग्राम में बांचल लोक सबहक शिक्षा व्यवस्था में कमी भेल अछि मुदा ई बात त स्वीकार कैल जाए के चाही जे एहन बहुतेक घटनाक उदहारण भेट जाएत आई काल्हि, घुन त लागिये गेल छैक. मिथिलाक लोक में सांस्कृतिक चेतना लुप्त भ गेल अछि से त हम नही कहब मुदा राजनैतिक आ सामाजिक चेतना बड कमजोर भ गेल अछि.
गुटखा , दारू आई काल्हि बहुतेक जगहक समस्या भा गेल अछि. मिथिला एही सब स अछूत नहीं अछि . एही सब में किछ करबाक लेल स्थानीय बुजुर्ग सब के आ जे चेतना संपन्न युवक सब छथि हुनका सचेत करबाक
रौशन जी,
अहाँक चिन्ता जायज अछि। व्यक्ति सँ परिवार आओर परिवार सँ समाजक निर्माण होइछ। जाबत प्रत्येक व्यक्ति व्यष्टि सँ समष्टि के दिशा मे कार्य करवाक हेतु तत्पर नहि हेताह, मिथिलांचलक प्राचीन गौरव पाबऽ मे कठिनाई अछि।
अहाँ अपन नामक अनुरूप रौशन होइत रहू इ हमर शुभकामना।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सुंदर...आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
हिंदी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका स्वागत। खूब लिखे ।अच्छा लिखे। हजारों शुभकामनांए।
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे हैं एक तलब का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
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