शुक्रवार, 23 जनवरी 2009

दूटा ठक

आब ओ दिन नहि रहल जे दादा-दादी वा नाना-नानी धिया-पुता के किस्सा-पिहानी सुनेतन्हि। कारण पते हैत। जखन नेना-भुटका बाबा-मैया लग रहतिन्ह तखन नें। खैर जे भी हो हम अपन ब्लागग माध्यमसँ अहां सबके ओ किस्सा-पिहानी सुनेबाक प्रयास क रहल छी
बहुत दिन पहिनेक बात छै। एकटा गाममे दूटा ठक रहै छल। ओकरा दूनूमे संगतुरिया छलै। बहुत दिनसँ दूनू गाक चारूभरक लोककेँ ठक्ेत रहय। मुदा आब दस कोसक धरि लोक ओकरा दूनू पर विश्वास नै करैत छल। इ देख ओकर सभक धंधा चैपट भ गेल। दूनू कोना आर ठामक यात्रा करबाक निश्चय कयलक। अचचिन्हार देशमे नव मुल्ला फँसयबाक जोगाड़ भ सकै छलै। चलैत-चलैत दूनू बहुत दूर चलि गेल। भोरे होइत दूनू एकटा दोसर राजाक जा पहुंचल। ओतए पता लगलै जे ओहि राजक राजा पिछला राति मरि गेल। राजाक बेटाकेँ ठकबाक अवसर फरेलै। दूनू राजाक अंतिम संस्कार धरि रुकि गेल। श्राद्धकर्म समाप्त भेलाक बाद ओ दूनू राजाक सारा लग एकटा खाधि खूनि लेलक। एकटा ठक खाधिमे नुका रहल। दोसर ठक राजाक बेटा लग गेल आ जिगेसा करैत बाजल - ‘राजा हमरासँ एक सय टाका पैंच लेने छला। हम ओएह पाइ आपस लेबए आयल छी।’ राजाक बेटा सभ ई सूनि जबाब देलकै - ‘नै हम सभ ओहि कर्जक मादे किछु जनै छी आ ने सधयबे करब।’ ठक अपना बात पर जोड़ दैत कहलक - ‘हमर बात सत्त अछि। राजाक आत्मा सेहो एहि कर्जक सच्चाइ बात सकै छनि। हम सभ हुनक सारा लग चली आ हुनका आत्माकेँ बजा कए पूछि ली।’ राजाक बेटा सभ मानि गेल। सब केओ सारा लग आयल। पहिल ठक आवाज देलक - ‘दोहाइ महाराजकेँ! जँ अपने हमरासँ एक सए टाका पैंच लेने होइ तँ अपन बेटा सभकेँ से कह दिअनु।’ खाधि तरसँ आवाज आयल - ‘हँ! हम पैंच लेने रही। हमर बेटा सभ ओकरा सधा देताह।’ ठकक कपटचालि सफल भेलै। राजाक बेटा सभ मानि गेलाह। राजमहल पहुंचला पर ठककेँ पाइ भेटि गेलै। पाइ भेटिते ओकरा मोनमे पाप आबि बैसलै। ओ अपन मीतक हिस्सो टपा देबाक विचार कयलक आ मीतकेँ खाधिसँ बिनु निकालनहिँ गाम छोड़ि देलक। दोसर ठक खाधिमे बहुत काल धरि रहल। बादमे बाहर अयबाक कोनहुना जोगाड़ कयलक। बाहर आबि ओ राजमहल लग गेल। ओतए अपन मीत द पुछारि कयलक। ओकर भजार जाहि बाटे गेल रहै, से बाट राजाक बेटा ओकरा देखा देलखिन। दोसर ठक एक जोड़ नव पनही कीनि लेलक। खुरपैरिया द क ओ अपन भजारसँ आगू बढ़ गेल आ पनहीक एकटा पबाइ सड़क पर खसा क नुका रहल। ओकर भजार ओहि स्थान पर अयलै। ओकरा पनहीक पबाइ देखि पड़लै। एकेटा पबाइ रहबाक कारणेँ ओ ओकरा उठौलक नहि आ आगू बढ़ैत गेल। तावत् दोसर ठक आर आगू बढ़ि गेल छल। ओ पनहीक दोसरा पबाइ रस्ता पर खसा देलकै आ पहिने जकाँ नुका रहल। बइमानी क क ओकर हिस्सा पचा लेबए वला मीत रस्ता पर दोसरो प बाइ देखलक। ओकर मोन लपलपा गेलै। ओ सोचलक - ‘पहिली पबाइ जा क ल अबै छी। एक जोड़ नव पनही भए जायत।’ से सोचि अपन मोटरी झो ँझमे नुका देलक आ पाछू घूरि गेल। जखने ओ थोड़ेक दूर गेल कि ओकर मीत मोटरी ल क यैह ले वैह ले पार भ गेलै।

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