एखन की भेलै, दिन-दिन देखबै
होमय टा दियौ ई मतदान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान।
श्रीमतीक साड़ी मे साबुन,
सर्फ दियौ सब पति महाराज
कती राति कें एती ब्लौक सं,
ता करियौ भनसा घर-काज
कै दिन पर कहिया घुरी औति,
तकर न रखियौ नाम ठेकान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
बरियाती मे महिले महिला,
मर्द अक बुढ़वा पुरहीत
हुनका प्रेस्टिज पर मे पड़तनि,
गबियौ अहीं वियाहक गीत
नोत हकार पुरै लए गाँ-गाँ
आब अहाँ नै हैब हरान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
सब मिटिंग मे चिक्कन-चिक्कन
चिकेन बोतल सं सम्मान
मंत्री सं कनफुसकी करती,
हटले रहब अहाँ श्रीमान
बैसल अहाँ झुलबियौ झूला,
जे आबए आमद संतान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
नव सरकार बड्ड उपकारी,
भरि बिहार मे तेहन बिहाड़ि
सब गिरहथनी बाघिन बनतै,
गिरहथ भुच्चर तितल बिलाड़ि
फिरी फंड मे मोटर साइकिल,
उड़िते रहती भेल उतान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
बाट-घाट जत्त जे देखियौ
हाथ जोड़ि मैडम परनाम
कनियो जे विरोध मे बजबै,
लगा देती असली इल्जाम
परसेंटेज मे झोटम झोंटा,
हेइए घिचलौं तीन निशान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे
महिला बैसत बीच दलान॥
पुरुष पात्र एसगर ने निकलब,
जनानीक भऽ जैब शिकार
ककरा कहबै? कियो ने सूनत,
वएह दरोगनी थानेदार
करत बेनगन धोती लऽ कें,
छिप्पी पर जहिना भगवान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
आब बेटा मे मूँह लटकतै,
बेटी जनमैत पिपही ढोल
प्रांत सुंदरी, देश सुंदरी,
विश्व सुंदरी नाँ अनघोल
मर्दक पगड़ी मोंछ निपत्ता,
तीर बलाक अचूक निशान
पुरुष रहब सुटकल कोठली मे,
महिला बैसत बीच दलान॥
लेखक - जय प्रकाश चौधरी जनक
साभार - हालचाल पत्रिका